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#atmakatha
• रात २:३० ढ़ाई बजे की यात्रा •
एक देर रात दर्शन, आरती, उनका युवा बेटा ब्रीज और ड्राईवर जीवा 400 किमी की लंबी यात्रा कर, कार से घर वापस लौट रहे थे, जो दूर अपने रिश्तेदार के फंक्शन में गए थे।
घर लौटते-लौटते पूरी रात बितनी ही है ये सभी अच्छी तरह जानते थे। और ऐसे में थोड़े-थोड़े अंतर पर रुकते हुए, चाय पीते हुए वो कड़ाके की ठंड में भी आगे बढ़ रहे थे। चाय पीने के बाद भी दांत कड़कड़ा रहे थे। मगर घर जाकर आराम से सोने के ख्याल से वो लगातार बढ़ते रहे।
सुबह से काम और भाग-दौड़ कर मां काफ़ी थक गई थी। इसलिए कड़क चाय की चुस्की लगाने के बावजूद उन्हें नींद आ गई। और वो अपने बेटे की गोद में सिर रखकर सो गई। ब्रीज ने भी अपनी मां को थामे रखा। ताकि कार की रफ्तार के साथ उन्हें झटका ना लगे।
अब पीछे वाली सीट पर ब्रीज अकेला ही था जो जग रहा था। उसके पीछे की सीट्स पर सामान रखा हुआ था, जो गाड़ी के झटके खाने से हिल-डुल रहा था। वहीं उसके पापा ड्राइवर अंकल के साथ आगे की सीट पर बैठे हुए थे।
तभी एक रास्ते से गुजरते समय ब्रीज ने खिड़की से एक पुल देखा। और कुछ ही पलों में उनकी कार पुल पार कर गई। उसी दौरान ब्रीज के मन में वलंडी पुल के किस्से ज़िंदा हो गए । वलंडी पुल उनके गांव का सबसे डरावना और बदनाम पुल माना जाता है। लेकिन ब्रीज खामोश ही रहा।
तभी ड्राईवर अंकल ने खुद डरावनी बाते करना शुरू कर दिया।
ड्राइवर जीवा: रात में बिना लाइट्स के ये सड़के कितनी डरावनी लगती है। और अगर रास्ता खराब हो तो पूछो ही मत!
दर्शन: सही कहा भाई।
ड्राइवर जीवा: और आपको पता है, गांव में वो पुल है न जहां से लोग गुजरने से डरते हैं। कुछ लोग कहते है कि वहां आसपास रात में एक औरत अकेले सड़क पर चलती हुई दिखती है और गाड़ी वालों से लिफ्ट मांगती है। और कहते हैं कि जब ड्राइवर उसे कहां उतरना है?' ये पूछने को मुड़ते है तो वो बिना बताए पेहले ही गायब हो चुकी होती है। कई हादसे भी हो चुके है वहां। और कई एक्सीडेंट भी हुए है।
दर्शन: हां, सुना तो मैंने भी है। उस पुल के पास आते ही गाडियां खराब हो जाती है। तुम उस वलंडी वाले पुल की बात कर रहे हो न?
ड्राइवर जीवा: हां, उसी की।
दर्शन: मैं भी उसी जिल्ले में रेहता हूं। वहां से कई बार गुज़र चुका हूं। इनफैक्ट रात में भी कई बार आना जाना होता है। लेकिन मैंने तो कुछ नहीं देखा। अरे मैं तो अपनी जवानी में एक बार घर वालों से गुस्सा होकर समशान में सोने चला गया था। मुझे तो कुछ नहीं हुआ।
उन दोनों की बाते सुन कर ब्रीज हैरान रह गया। वो सोच रहा था कि ऐसा कुछ हो या ना हो। लेकिन इतने बेकार रास्ते पर रात में अगर कार बिगड़ गई तो फालतू में चक्कर काटने पड़ जाएंगे।
ड्राइवर जीवा: सही बात है भाई। वैसे मैं भी इन बातों में नहीं मानता।
तभी कार एक और पुल से होकर गुज़र गई।
ड्राइवर जीवा: देखो वो गया आपका वलंडी पुल। हमने अभी पार किया।
दर्शन: हां, ये सब तो मन के खेल है। जो मानता है उसके साथ वैसा होता है।
इसी के साथ दोनों हंस पड़े। और ब्रीज भी उन दोनों को देख मन ही मन हंस पड़ा। उसे अपनी नादानी पर हंसी आ गई। उस जगह में कुछ हो या न हो। लेकिन उस चीज़ के बारे में केवल सोचने भर से ब्रीज विचलित हो गया था।
जब कभी उसके बड़े लोग डरावनी या भूतिया बाते करते थे तब उसे वो पुराने खयाल के लगते थे, जो वहम को सच मान लेते थे। और आज भी जब उसके पापा और ड्राईवर अंकल इसी तरह की डरावनी बाते कर रहे थे तो वो उन्हें पुराने ज़माने का समझ रहा था। लेकिन फिर उसे एहसास हुआ कि पुराने जनरेशन के होने के बाद भी वो लोग कितने निडर, बहादुर और आत्मविश्वास से भरे हैं। लेकिन वो नई जनरेशन का होकर भी अफवाओं को मन में लिए रखता था।
इस एक किस्से ने ब्रीज का अपने बड़े लोगो को देखने का नज़रिया बदल दिया। और वो इस बात से काफ़ी हर्षित हो गया।
•समाप्त।
क्या आपको आपके बड़े लोगों या आपके गांव से जुड़े किस्से पता है? 🤫
अगर हां तो #collabkaro
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