
Hey,
Welcome to mugafi
community!
If you want to share new content, build your brand and make lifelong friends, this is the place for you.
Learn & Grow Rapidly
Build Deep Connections
Explore & launch Content
#कुछलोग
अजनबी शहर के मुसाफिर लगते हैं,
अनजान मुस्कान को देख मुस्कराते हैं
दोस्ती के बीच घुटन होने लगी उन्हें,
अब साथ रह कर फ़ासले हो जाते हैं।
दूरियां आती नहीं तो अच्छा होता,
अकेले चलने से कदम लड़खड़ाते हैं।
कई बार नाकामयाबी को गले लगाया
आगे बढ़ने से रिश्ते ,करीब से रुलाते है।
कुछ वादे जो पूरे कभी ना कर सके,
चलते रहकर भी मंजिल से घबराते हैं
अपना क्या पराया, सब एक जैसा है,
असली चेहरे पर कई मुखौटे लगाते हैं
बड़ी इत्तेफाक रखती है दुनिया प्रणाली,
कभी कभी सपने साकार भी हो जाते हैं।
प्रनाली श्रीवास्तव
स्वरचित
Read Less
Show thread

7 Likes
Trending Posts